मुझमे ॐ तुझमे ॐ सब में ॐ समाया है ! सबसे कर लो प्रीत जगत में कोई नहीं पराया है !! सत्य सनातन धर्म की जय हो ! गौ माता की जय हो ! ॐ नमः पारवती पतये हर हर महादेव ॐ नमः शिवाय !

गौमाता
समुद्रमन्थन के दौरान इस धरती पर दिव्य गाय की उत्पत्ति हुई | भारतीय गोवंश को माता का दर्जा दिया गया है इसलिए उन्हें "गौमाता" कहते है | हमारे शास्त्रों में गाय को पूजनीय बताया गया है इसीलिए हमारी माताएं बहनें रोटी बनाती है तो सबसे पहली रोटी गाय को ही देती हैं गाय का दूध अमृत तुल्य होता है | भगवत पुराण के अनुसार, सागर मन्थन के समय पाँच दैवीय कामधेनु ( नन्दा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला, बहुला) निकलीं। कामधेनु या सुरभि (संस्कृत: कामधुक) ब्रह्मा द्वारा ली गई। दिव्य वैदिक गाय (गौमाता) ऋषि को दी गई ताकि उसके दिव्य अमृत पंचगव्य का उपयोग यज्ञ, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए किया जा सके।
श्री काशीधर्मपीठ वाराणसी में एक गौशाला संचालित है जिस पैर ५०+ गौ है एवं अन्नपूर्णा धाम पिठेरा में भी २ हैक्टर पैर गौशाला स्थापित है एवं स्वामी श्री गुरुदेव नरायणानंद तीर्थ जी महाराज भी इसी पिठेरा आश्रम मैं रहते है।

पिठेरा गौशाला - स्वामी श्री गुरुदेव नरायणानंद तीर्थ जी महाराज


गौप्रेमी स्वामी श्री लखन स्वरुप ब्रम्हचारी - श्री काशीधर्मपीठ वाराणसी गौशाला में सेवा करते हुऐ

गौप्रेमी से निवेदन है की वो गौशाला संचालन हेतु दान कर अपना योगदान दे सकते है

- शंकराचार्य स्वामी श्री नरायणानंद तीर्थ जी महाराज